मातृ दिवस पर मां के चरणों में शत शत नमन के साथ स्वरचित कविता प्रेषित है
दिल की धड़कन में सदा धड़कती है मां,
देवताओं के आशीर्वाद सा वरदान है मां।
मेरे होंठो की मधुर मुस्कान का नाम है मां,
मेरा सुख चैन भरा असीम संसार है मां।
धरा पर ममता की मूरत का नाम है मां,
शब्दातीत है तेरी परिभाषा तुझे नमन है मां।
जन्नत सी खुशियों का भण्डार है मेरी मां,
मखमल सी मुलायम गोद में सुलाती है मां।
परियों की रानी सा खूबसूरत अहसास है मां,
दुनिया की दौलत से कई गुना अनमोल है मां।
हवा में बहती चंदन की सदाबहार खुशबू है मां,
पतझड़ समान जीवन में वासंती बहार है मां।
फरिश्ता बन सब संकट हर लेती है मां,
जीवन का असली मकसद समझाती है मां।
परमात्मा की सच्ची आवाज है मेरी मां,
मेरा वजूद,गुरुर और ताकत है मेरी मां।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश को भी लोरी सुनाती है मां,
प्रयल को अपनी गोद में झूला झुलाती है मां।
आंचल में शीतल चांदनी का अहसास है मां,
अमृत के प्याले सा रसपान कराती है मां।
धर्म, कर्म का असली मर्म सीखाती है मां,
हर मुश्किल का आसान सा हल है मेरी मां।
सम्पूर्ण कायनात में खुशियों का भण्डार है मां,
परमात्मा की सच्ची आवाज तुझको नमन है मां।
डॉ. रेखा मंडलोई ‘गंगा’ इन्दौर
kavya ganga