
आतंक और अत्याचार से भरने लगा था जब संसार,
त्रेता युग में जन्में प्रभु परशुराम ले करके छठा अवतार।
शस्त्र – शास्त्र का ले ज्ञान शिव से पाई शक्ति अपार,
परम पराक्रमी वीर साहसी थे अदभुत शक्तियों का भण्डार।
जमदग्नि-रेणुका के घर जन्में छाई खुशियां भृगुवंश में अपार,
परशुराम के दर्शन पाकर धन्य हुआ सम्पूर्ण संसार।
भीष्म, कर्ण और द्रोण जैसे शिष्यों में भरा ज्ञान भण्डार,
विश्व गुरु बन ज्ञानोपदेश से प्रकाशित किया था संसार।
पिता की मृत्यु से ले प्रण धरा को किया क्षत्रीय विहीन २१ बार,
अमानवीय अत्याचार का करते रहे विरोध बार – बार।
स्त्री स्वतंत्रता के बनकर पक्षधर दिया उन्हें जीने का अधिकार,
असीम शक्तियों के चमत्कार से धन्य हुआ सम्पूर्ण संसार।
खुश हुए समस्त देव गण देख दानवों का संहार,
परशुरामजी के पुण्य से हुआ मानव जाति का उद्धार।
परशुराम के गुण गाए लीला उनकी अपरम्पार,
दिव्य शक्ति के चरणों में करते नमन हम बारम्बार।
डॉ. रेखा मंडलोई ‘गंगा’ इंदौर
kavya ganga