
आजादी के साल बीत गए देखो लगभग सत्तर – पचहत्तर।
स्वतंत्र हुए हम लोग छोड़ गुलामी की जो ओढ़े थे चादर।
माता- पिता बनाते हैं जैसे बच्चों को अपने आप पर निर्भर।
वैसे ही आजाद भारत के बाशिंदों तुम भी बनो आत्मनिर्भर।
शिक्षा की ले बुनियाद हो खड़े हम अपने पैरों पर।
और ना रहे अब हम निर्भर किसी भी तरह गैरों पर।
शिक्षा से अपना देश आगे की ओर बढ़ता रहे निरंतर।
स्वदेशी उत्पाद को अपनाएं विदेशी का करे बहिष्कार।
शिक्षा की नीतियों का कर उपयोग देश का करे उद्धार।
भारत का धन भारत में ही रहे इसी नीति का करे विस्तार।
विभिन्न कंपनियां अपने लाभ का बंटवारा करे इस प्रकार।
जिससे देश की बढे शान और विश्व में हो जय जयकार।
नई शिक्षा से मिले नई नौकरियां युवा पीढ़ी बढ़े आगे अपार।
ना लेना पड़े भारत को विदेशी कंपनियों से धन उधार।
संपूर्ण समाज व राष्ट्र देखे यही स्वपन हो भारत का विस्तार।
भारत का हर एक व्यक्ति रहे हर क्षेत्र में अपने आप पर ही निर्भर।
फिर चाहे मशीन, खाद्यान्न, टेक्नोलॉजी या हो कम्प्यूटर।
हमारी शिक्षा नीति हर क्षेत्र में बनाए सभी को आत्मनिर्भर।
देश में उत्पन्न कच्चे माल का कर दोहन और उत्पादन बढ़ा कर।
कोरोना जैसी महामारी में भी देश हमारा बना आत्मनिर्भर।
जब आईं किल्लत दवाई, उपकरण और कंप्यूटर जो थे आधार।
संपूर्ण चिकित्सा जगत में भी तो फैला था हा हा कार।
इसी समय शिक्षा का जगा नया अलख किए कई आविष्कार।
भारी मात्रा में बनी पीपीई किट, मास्क और सेनेटाइजर।
हमारी आवश्यकता पूर्ति अपने आप कर बने हम आत्मनिर्भर।
डोकलाम विवाद के चलते चीनी वस्तुओं का भी किया बहिष्कार।
भारत ने ठाना हमारा उत्पादन स्वयं कर व्यवसाय को दे विस्तार।
बीस लाख करोड़ का किया पैकेज पास देश को बनाने आत्मनिर्भर।
कोरोना महामारी भी ऐसे समय में बन गई एक सुनहरा अवसर।
अब हम अपनी जरूरतों के लिए नहीं हैं दूसरों पर निर्भर।
कम हुआ आयात जिससे बढ़ता गया हमारा विदेशी भंडार।
चमका भारत सम्पूर्ण विश्व में बन सबका जग सिरमोर।
डॉ. रेखा मंडलोई ‘गंगा’ इंदौर
kavya ganga
बहुत ही सुंदर ,वास्तविक धरातल पर आधारित👌👌👌🙏🙏
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DIL SE DHER SARA DHANYWAD
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बहुत ही सुन्दर कविता
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DIL SE DHER SARA DHANYWAD
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