सादा जीवन उच्च विचार वाले शास्त्रीजी को था सादगी से प्यार,
दूसरे प्रधानमंत्री बन भारत को जिसने सिखलाया सदाचार।
गांधीवादी विचारधारा संग जो सदा अपनाते रहे शिष्टाचार,
निष्ठावान व्यक्तित्व और सच्चाई का करते थे सबसे व्यवहार।
किसानों के बन अन्नदाता किया उन सबका सदा उद्धार,
उनके जय जवान, जय किसान के नारे से था भारतीयों को प्यार।
कश्मीर घाटी को दुश्मनों से बचा दिया हमें बड़ा प्यारा सा उपहार,
लाहौर में लगा सेंध पाकिस्तान को हटाने का सपना किया साकार।
पाक षडयंत्र के इरादों पर भी तो किया था उन्होंने वज्र प्रहार,
ताशकंद में शान्ति समझौते के सपने को कर दिया था साकार।
भारतीय फौज ने विजय पताका को फहराकर जताया था प्यार,
भारत के सम्मान को बड़ा सम्पूर्ण विश्व से पाया था स्नेह अपार।
2 अक्टूबर को ले जन्म भारत मां को किया धन्य और पाया दुलार,
ऐसे लाल के जन्म ने इस भू को किया सार्थक और बरसाया प्यार।
सामान्य से शीर्ष तक जो बढते चले कर विपदाओं को पार,
ताशकंद की काली अंधेरी रात में फिर छोड़ दिया यह संसार।
कुर्बानी तुम्हारी न जाएगी व्यर्थ यही भाव भरा है मन में अपार,
ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी को आज हम करे नमन बारम्बार।
डॉ. रेखा मण्डलोई ” गंगा “
kavy ganga