विवेकानंद जी की पुण्य तिथि पर युवाओं से आव्हान
उठो जागो मेरे देश के युवाओं देश ने पुकारा है तुम्हें,
भौतिक सुखों का कर त्याग देशहित में जुट जाना है तुम्हें।
इस देश को स्वर्ग बनाने की तुम्हारी शक्ति को जगाना है तुम्हें,
विवेकानंद जी की कर्मभूमि है अब कर्मठता दिखाना हैं तुम्हें।
लोभ, लालच और भ्रष्टाचार देश से उखाड़ फेंकना हैं तुम्हें,
देश पर मरने -जीने का भाव सबके मन में भरना है तुम्हें।
भावी भविष्य की नई पौध को भी अब संवारना है तुम्हें,
लक्ष्य तक न पहुंच पाओ तब तक संघर्षरत रहना है तुम्हें।
संकट के समय दृढ़ संकल्प लें देश को बचाने में जुट जाना है तुम्हें,
सूरज की तरह उर्जावान हो अपनी ऊर्जा का प्रकाश फैलाना है तुम्हें।
असंभव को भी संभव करने की ताकत जगाना है तुम्हें,
देश पर जीने-मरने के भाव लोगों में अब जगाना है तुम्हें।
विवेकानंद जी के स्वर्णिम स्वप्न को साकार करना है तुम्हें,
भारत को पुनः विश्वगुरु के पद पर आसीन करवाना है तुम्हें।
हां धन्य जीवन कर मां के लिए अपना फर्ज निभाना तुम्हें,
इस धरा पर लिया है जन्म तो इसका कर्ज भी चुकाना है तुम्हें।
डॉ. रेखा मंडलोई “गंगा”
इतिहास के पन्नों को दो फिर से नई जवानी मोड़ दो नदियों की धाराएं लिखदो नई कहानी
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