
अमर शहीद बन दूर गगन में,
चमक उठा जो ध्रुव तारा।
नेताजी का नाम पाकर,
सुभाष बन गया सबका प्यारा।
आजाद हिन्द फौज बना,
भारत को जिसने संवारा।
खून के बदले आजादी का,
जिसने दे डाला एक नारा।
भारत, बर्मा, सिंगापुर में,
युवाओं को जिसने पुकारा।
मेरे देश के वीर सपूतों जागो,
आजाद कराओ देश हमारा।
मातृभूमि के बंधन को देख,
जिसका जी भर – भर आया।
बंधन मुक्त हो भारत माता,
इस काम का बीड़ा उठाया।
शहीदों के शीश की जयमाल,
चढ़ाने निकल पड़ा दीवाना।
बांध कफन अपने सर वह,
गाया जिसने आजादी का तराना।
स्वतंत्रता के लिए दो बलिदान,
युवाओं को उसने ललकारा।
दुश्मन दल को चुन चुन कर,
यहां वहां उसने बहुत छकाया।
दुनिया भर में घूम घूम कर,
जाने किस दुनिया में पहुंचा।
राज बन गया उत्सर्ग उनका,
इस पर सबका जी भर आया।
हे शत शत नमन उस वीर को,
जिसने भारत का मान बढ़ाया।
डॉ. रेखा मंडलोई ‘ गंगा ‘ इंदौर