खुशियां साथ ले ऋतुराज वसंतआया,
पतझड़ की वेदना को जैसे भूल आया।
सरसों, राई संग टेसू की बहार लाया,
धरा पर नवयौवन – सा खुमार छाया।
आम्र मौर पर कोयल ने शोर मचाया,
खेत- खलियान को मुस्कान दे आया।
कृषकों के जीवन में खुशहाली लाया,
बसंती बयार ले ऋतुराज वसंत आया।
अंग- अंग में उमंग की हिलोर लाया,
गुलशन का कोना- कोना मुसकाया।
मिलन पर्व- सी खुशियां संग ले लाया,
भीनी खुशबू से आनंदित मन हो आया।
नव कोपल संग नव पल्लव भर लाया,
फाल्गुनी संगीत का स्वर संग आया।
हर्षोल्लास देखो चारों ओर छाया,
खुशियो की बौछार ले वसंत आया।
नई आशा की किरणों को फैलाया,
ऋतुराज का आनन्द चहुँओर छाया।
देखों-देखों ये प्यारा वसंत आया,
खुशियां साथ ले ऋतुराज वसंतआया।
डॉ.रेखा मण्डलोई ‘गंगा’ इंदौर