रामी आज बहुत खुश है, उसके घर बरसों बाद एक किलकारी गूंजी है। रामी की शादी को लगभग दस साल गुजर चुके थे। उसने दुनिया भर के इलाज,जादू, टोना सब कुछ कर लिया था। वह अपनी सास और समाज के लोगों के ताने सुन सुन कर परेशान हो चुकी थी। अंत में उसने यह मान लिया था कि शायद प्रभु की यही इच्छा है और उसने अपने लिए संतान की उम्मीद लगभग पूरी तरह छोड़ दी थी। फिर अचानक एक दिन उसकी तबियत बिगड़ी और उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया तो सारी जांचें करने के बाद डॉक्टर ने बताया कि रामी मां बनने वाली है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसकी सास ने भी उसकी खूब देखभाल की। नियत समय पर रामी ने एक सुन्दर कन्या को जन्म दिया। अरे ये क्या रामी की सास ने तो बच्ची को अपनी गोद में लेने से ही मना कर दिया। कहने लगी कि कुलदीपक की आस लगाए बैठी थी मैं, पर रामी ने तो मेरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मुझे नहीं रखना इसे। ऐसे कठिन समय में रामी के पति ने भी उसका साथ छोड़ दिया। तब रामी ने कठोर फैसला सुनाते हुए कहा कि मैं मेहनत मजदूरी करके अपनी बेटी को पाल लूंगी। रामी ने अपनी बेटी के लिए हर मुश्किल को पार किया और उसे अपने पैरों पर खड़ा किया। आज रामी की बिटिया एक सफल डॉक्टर बनकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही है।
डॉ. रेखा मंडलोई “गंगा” इन्दौर