
शिव के गले में भुजंग है जैसे फूलों का हार।
ओढ़े मृगछाल, नंदी-श्रृंगी संग सजाए दरबार।
अविनाशी, त्रिगुणी-शिव की महिमा है अपार।
देवों के देव महाकाल की करे जय जयकार।
विश्व युद्ध जैसा ताण्डव आज झेल रहा संसार।
विषमता रूपी विष पीकर बरसाओ अमृत के भण्डार।
त्रिलोकीनाथ दिखाओ राह करो जग का उद्धार।
ढाल बनकर बचाओ विश्व को करो बेड़ा पार।
नीलकंठ महादेव दिखाओ अपना कोई चमत्कार।
शरण तिहारी आए प्रभु न मचे और हा-हाकार ।
अपनी जटा से बहाओ प्रभु ज्ञान का अकूत भण्डार।
अवगुणों का हो नाश और बड़े सद्बुद्धि का व्यापार।
घट-घटवासी बाबा की महिमा है अपरम्पार।
विराट शक्ति के चरणों में हम नमन करते हैं बारंबार।
महाशिवरात्रि पर्व पर देते हैं शुभकामनाएं अपार।
दूर हो विश्व की विघ्न बाधा और बड़े स्नेह व्यवहार।
डॉ. रेखा मंडलोई “गंगा”