
आया नवरात्रि का पावन त्यौहार छाई माँ की भक्ति अपार।
माता रानी होकर सिंह पर सवार लाई उत्सव संग बहार।
भक्तों के जीवन की माँ तूने ही थाम ली है पतवार।
मां दुर्गा भवानी के नव रूपों की महिमा है अपरम्पार।
नवमी के दिन हवन,पूजन संग करते सब मंत्रों उच्चार।
कृपा दृष्टि बरसाने माता आती प्रतिवर्ष भक्तों के द्वार।
धन धान्य से कर पूर्ण भक्तों पर बरसाती कृपा अपार।
तेरे गुणों में हैं तप, त्याग संयम, विश्वास और सदाचार।
दुराचारी दुष्ट राक्षसों का माँ करती पल भर में संहार।
धन समृद्धि और वैभव दे भक्तों का करती बेड़ा पार ।
पावन मन से जो करे भक्ति उनका करती माँ उद्धार।
मनोकामनाओं को कर पूर्ण हरती भक्तों के कष्ट-विकार ।
स्वच्छ, सरस, अति पावन रूप में माँ बरसाती है प्यार।
माँ देती सुख, शान्ति, आनन्द और समृद्धि का भंडार।
पढ़ा धैर्य का पाठ भक्तों को करती भव सागर से पार ।
तेरी शरण में आए भक्तगण नित करे तेरी जय-जयकार।
डॉ . रेखा मण्डलोई गंगा , इंदौर