
दशहरा पर्व संदेश यह लाया करो सत्य से प्रित तो होगी आपकी जीत,
केवल भलाई की चाहते हो जीत तो बुराई से बिलकुल ना करो तुम प्रीत।
छल, कपट, अभिमान ने रावण को दिलाई करारी हार न पाया वह जीत।
शिवजी के परम भक्त ने कर दी थी नादानी, लगा ली माँ सीता से प्रीत।
छल-कपट से उसने हर ली थी सीता-रानी, और न हुआ थोड़ा भी भयभीत।
रावण की हार के पीछे थी उसकी मनमानी, चलाई थी उसने गलत रीत।
रावण जो था महाज्ञानी कैसे बन गया अभिमानी बन न पाया राम का मीत।
सत्य, साहस, ईमानदारी और दृढ़-संकल्प जैसे सच्चे साथी से राम को थी प्रीत।
याद है सबको वो न कर पाया राम का सामना और न मिली थी उसको जीत।
पर्व है असत्य पर सत्य की जीत का, अपना लो सत्य की परंपरा और रीत ।
ना हो कोई बुराई मन में ना करे किसी से बेईमानी, रखे जग में सभी से प्रीत।
बुराई से मुक्त हो समाज ना बने कोई अभिमानी, तभी होगी इस पर्व की जीत।
दशहरे पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं संग करे बुराई का अंत और बढ़ाएं प्रीत।
घर-घर में छिपे रावण का होगा जब नाश तभी नारी शक्ति की होगी जीत ।
सीता को रखना है सुरक्षित तो रावण रूपी व्यक्तित्व को करना होगा पराजित।
क्रूरता निर्भरा,अंकिता जैसी न हो अब और तभी होगी अच्छाई की सच्ची जीत।
डॉ . रेखा मण्डलोई ‘गंगा’ इंदौर