हिन्दी बन जन मानस की अति प्रिय भाषा।तार दिलों के जोड़ने की जगाती है सबमें आशा।सभ्यता- संस्कृति की जो बताती है सबको परिभाषा।निराली लिपि भी इसकी बनाती इसकी सरल भाषा। जैसे बोले वैसे ही लिखती जाए यह भाषा।प्राचीन भाषा पाली का ही विकसित रूप ये भाषा।महाकवि केशव,भूषण, बिहारी के मन की भाषा।पंत, निराला, प्रसाद केContinue reading “‘हिन्दी दिवस’”
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शिक्षक
ज्ञान के साथ मान बढ़ाए शिक्षक का श्रमदान है।हम सब करते आए ऐसे शिक्षक का सम्मान है।उनके हौंसले हिमालय से गहराई सागर समान है।एकलव्य को शिक्षक की मूर्ति ने ही बनाया महान है।बालकों के जीवन में संस्कारों का लाता तू तूफान है।तेरी जिव्हा पर विराजित मां सरस्वती महान है।बगैर तेरे शिष्यों का जीवन भी होContinue reading “शिक्षक”
“पर्व रक्षा बंधन का”
प्रेम,स्नेह,सम्मान,सुरक्षा का पर्व है रक्षा बंधन का त्योहार।सनातन धर्म में सद्भावना पूर्वक मनाया जाता है यह त्योहार।शास्त्र, पुराण, वेद करते हैं गुणगान जिससे और भी खास बन जाता है यह त्योहार।बहनों द्वारा भाई की सुनी कलाई पर रक्षा का सूत्र बांधने की याद दिलाता है यह त्योहार।मुगल सम्राट हुमायूं को रानी कर्णावती ने राखी बांधContinue reading ““पर्व रक्षा बंधन का””
‘ मित्रता ‘
अजनबियों से कैसा ये अनजाना रिश्ता मैंने बनाया। हर मुश्किल में मेरा साथ निभा उन्होंने ही मेरा हौंसला बढ़ाया।खून के रिश्ते भी मुसीबत के समय कर लेते हैं किनारा। अजनबियों से अजीज बने दोस्तों ने जीवन में साथ निभाया। ऐसे मधुर रिश्ते का आभार जताने का शुभ दिन आज आया।खुशनसीब हूं मैं असीम- निश्छल प्यारContinue reading “‘ मित्रता ‘”
“मेरे सपनों का भारत”
मीनू सुबह से ही चहक रही थी। उसकी गर्मी की छुट्टियां लग चुकी थी। वह बैठ कर दादी से बतिया रही थी। सुनो दादी हम भारत भ्रमण पर जा रहे हैं, तुम भी चलोगी। नहीं बिटिया आज के भारत को देखकर मुझे ज्यादा खुशी नहीं होती, इस कारण मैंने मना कर दिया है दादी नेContinue reading ““मेरे सपनों का भारत””
पुस्तक समीक्षा -काव्य गंगा श्री प्रभु त्रिवेदी ( वरिष्ठ साहित्यकार )
साहित्य समाज का दर्पण है , कभी कहा जाता था। आज साहित्य समाज की धड़कन है। गद्य और पद्य साहित्य की दोनों विधाओं का अपना – अपना महत्त्व सर्वविदित है। लेकिन पद्य का अपना आनुभूतिक अनुवाद , लयात्मक लालित्य और दीर्घकालिक दाक्षिण्य हर किसी को आकर्षित करता है। यह आकर्षण ही रचना को कंठस्थ औरContinue reading “पुस्तक समीक्षा -काव्य गंगा श्री प्रभु त्रिवेदी ( वरिष्ठ साहित्यकार )”
सफर सात दिन का
जीवन चलने का नाम है, और अगर अबाध गति से गुजरे तो बात ही ओर है। दिन का सुहाना सफर प्रतिदिन की तरह शनिवार को भी प्रारंभ हुआ। प्रतिदिन प्रातः कालीन बेला में चुस्ती, फुर्ती के साथ काम काज प्रारंभ हो जाता है, परन्तु आज कुछ काम में मन नहीं लग रहा था। समझ नहींContinue reading “सफर सात दिन का”
“बादल आषाढ़ के”
सावन के बादल से भी ज्यादा कीमती होते हैं ये बादल आषाढ़ के । खेत खलिहानों में खुशियां छा जाती हैं और मन बाग बाग हो जाते हैं किसान के।चारों तरफ फैली गर्मी और उमस से मिलती राहत और खिल जाते हैं चेहरे किसान के।आसमान भी बड़ा सुहावना लगे जब बादल बरसे आषाढ़ में दिनContinue reading ““बादल आषाढ़ के””
मेरा आशिक
कोरोना जैसी बीमारी को नजदीक से देख एक विचार मेरे भीतर उठ आया है,ये कोरोना नहीं शायद मेरा कोई आशिक है जो मुझसे मिलने का मन बना कर आया है।अपना पूरा नियंत्रण मुझ पर करके देखो तो कितना इठला रहा है,मुझे अपने साथ एक कमरे में कैद करके कैसे जीत की खुशियां मना रहा हैContinue reading “मेरा आशिक”
जन्मदिवस
आभार उस परमपिता परमेश्वर का जिसने दिया हमें अनुपम उपहार।जिसको पाकर धन्य हुआ जीवन और मिला असीम खुशियों का भण्डार।जिसने जन्म लेकर बसा दिया हमारे परिवार के लिए उल्लसित नव संसार।दिल हो गया बाग – बाग और भर गया सुख शान्ति का असीम भण्डार। बेटे के चेहरे पर फैली मुस्कान ही तो है हमारे सपनोंContinue reading “जन्मदिवस”