स्वतन्त्रता दिवसकेअमृतमहोत्सवपरसभी कोहार्दिक बधाई एक स्वरचित कविता प्रेषित है :-
दमनकारी नीतियों और अत्याचारों का फैला था ताण्डव जब चारों ओर,
वीर कुँवर सिंह, मंगल पाण्डे और बिस्मिल जैसे देश भक्तों ने तभी दिखाया अपना जोश।
रंगभेद और जातिवाद की आग लगा जब अंग्रेजों ने फैलाया अपना मायाजाल,
अनाम उत्सर्ग देशभक्त सपूतों ने एकता और अखंडता का पढ़ाया था पाठ।
अपने हसीन स्वपन का कर त्याग क्रांतिवीरों ने खून की होली का खेला खेल,
अंग्रेजों के इरादों को कर नेस्तनाबूत सबने दिखाया अपना मेल।
दुश्मनों के जुल्मों को सहने वाले असंख्य अनाम उत्सर्ग शहीदों का बढ़ाए मान,
स्वतन्त्रता दिवस की खुशियों संग बड़ती जाए अपने देश की शान।
देश पर अब आए ना कोई आँच आओ आज सब मिलकर करें ऐसा प्रण।
वीर सपूतों के त्याग और बलिदान को जाने न दे अब यूं ही व्यर्थ ,
तन, मन, धन को कर समर्पित जगाए देश भक्ति का भाव।
विजय पताका लहराए विश्व में और बढ़ाए सबमें सद्भाव।
डॉ. रेखा मण्डलोई ‘ गंगा ‘
kavy ganga